Saturday, May 30, 2020

what is imortlity briefly mentioned

यह विराट विश्व ही मेरी देह हैं। देखो, कैसी इसकी अविकल परम्परा है। सारे मन मेरे मन हैं। सबके पैरों से मै ही चलता हूं । सबके मुंह से मैं ही बोलता हूं । सबके शरीर में मेरा ही निवास है।मैं इसका अनुभव क्यों नहीं कर पाता हूं ? इसका कारण है वही व्यक्तित्व भाव,वही,शूकरपना। इस मन से तुम आबद्ध हो चुके हो और तुम यहीं रह सकते हो, वहां नहीं। अमरत्व है क्या ? कितने कम लोग यह उत्तर देंगे कि 'वह हमारा यह जीवन ही है ! बहुतेरों की धारणा है कि यह जीवन मरणशील है, प्राणहीन है - ईश्वर यहाँ नहीं है, स्वर्ग पहुंचने पर ही वे अमर होंगे। उनकी कल्पना है कि मृत्यु के बाद ही ईश्वर से उनका साक्षात्कार होगा। लेकिन, यदि वे इसी जीवन में और सभी उसका साक्षात्कार नहीं करते, तो मरने के बाद भी उसे नहीं देख पायेंगे । यद्यपि अमरता पर उनकी आस्था है, तो भी उन्हें यह अज्ञात है कि अमरता मरने और स्वर्ग जाने से नहीं।🌷 स्वामी विवेकानन्द🌷

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